वडनगर का गौरवशाली इतिहास 2500 साल पुराना, म्यूजियम में दिखेगी झलक : पीएम मोदी

नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर एक वीडियो साझा किया। जिसमें वडनगर के 2500 साल पुराने गौरवशाली इतिहास की झलक मिलती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया एक्स हैंडल पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा कि गुजरात के वडनगर का गौरवशाली इतिहास 2500 साल से भी पुराना है। इसे संजोने और संरक्षित करने के लिए यहां अनूठे प्रयास किए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा साझा किए गए वीडियो में वडनगर से जुड़े दिलचस्प फैक्ट्स हैं।

जैसे ये वृत्त की तरह है और वडनगर का भी कोई निश्चित आरंभ और अंत नहीं है। बताया गया है कि कैसे यह प्राचीन शहर प्राचीन काल से चुनौतियों का सामना करते हुए आज तक खड़ा है। इसकी नींव 2005 साल से पुरानी है, जब सिंधु-सरस्वती सभ्यता के बाद महाजनपदों का निर्माण हो रहा था। उसी समय वडनगर जैसे छोटे नगरों की शुरुआत हुई थी। तब इसका नाम 'आनर्तपुर' था, जो रूपेड़ नदी और कपिल नहर के पास स्थित एक ऊंचे टीले पर बसा हुआ था। यहां के लोग पांचवीं सदी ईसा पूर्व से कच्चे और पक्के घरों में रहते थे। यूनानियों के आने के बाद, इस क्षेत्र को वाक्ट्रियन फ्रिक्स ने अपना लिया और यहां के सिक्कों पर यूनानी साम्राज्य के निशान दिखाई देते हैं। उस समय यह नगर आनंदपुर के नाम से जाना जाता था।

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वीडियो में प्राचीन इतिहास से लेकर मॉर्डन इंडिया की झलक दिखती है। इसमें बताया गया है कि कैसे प्रथम सदी में शत्रु और सातवाहन वंश के बीच इस क्षेत्र के नियंत्रण को लेकर संघर्ष हुआ, और इस दौरान नगर को मजबूत बनाने के लिए पक्की ईंटों का परकोटा बनवाया गया। पांचवीं सदी में प्रतिहार वंश का शासन था और गुप्त वंश का उदय हुआ। आठवीं से दसवीं सदी तक यह नगर गुजरात के राष्ट्रकूट, प्रतिहार और चावड़ा शासकों के अधीन रहा, जिन्होंने नगर की जल व्यवस्था और परकोटे को और मजबूत किया।

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6 मिनट से ज्यादा की क्लिप गौरवशाली इतिहास की गाथा सुनाती है। इस छोटे से क्षेत्र की खूबियों को बड़ी खूबसूरती से समेटा गया है। बताया गया कि दसवीं सदी में गुजरात की सत्ता सोलंकी वंश के चालुक्य शासकों के हाथ में आई, जिन्होंने नगर का नाम विप्रपुर रखा। इस काल में विभिन्न धातुओं के कारखाने और आठ-आठ भट्टियां चलाने की व्यवस्था की गई। शर्मिष्ठा झील और जलाशयों के निर्माण से जल व्यवस्था को सुधारने की कोशिश की गई। मध्यकाल में वडनगर पर सुलतान और मुगलों का शासन था और इसे वृद्धनगर के नाम से भी जाना जाता था। इस दौरान परकोटे की ऊंचाई बढ़ाई गई और बुर्जों का आकार चतुर्भुज से वृत्ताकार कर दिया गया। मराठा और पेशवाओं के प्रभाव में भी वडनगर का महत्व बढ़ा।

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वडनगर का "अनंत अनादि वडनगर म्यूजियम" भारतीय इतिहास और संस्कृति के विभिन्न कालखंडों से परिचित कराता है। इस म्यूजियम में विभिन्न गैलरी हैं, जैसे ओरिएंटेशन गैलरी, सिटी गैलरी, बेलिफ गैलरी, लाइफस्टाइल गैलरी और फ्यूचर गैलरी विभिन्न पहलुओं से अवगत कराते हैं। बता दें कि 16 जनवरी को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने वडनगर में एक म्यूजियम का उद्घाटन किया। म्यूजियम करीब 12,500 वर्ग मीटर पर फैला हुआ है। यह देश का पहला आर्कियोलॉजिकल एक्सपीरिएंशल म्यूजियम है।

 

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